कविता :- 16(35) हिन्दी 5 रचनाएं
कविता :-16(35) हिन्दी 5 रचना ✍️ रोशन कुमार झा
###### रोशन कुमार झा #### 1
सुप्रभात सभी आदरणीयों,
नमन 🙏 :- " कलम ✍️ बोलती है " साहित्य समूह
क्रमांक :- 130
तिथि :- 18-05-2020
दिन :- सोमवार
आज का विषय :- चित्र लेखन
प्रदाता :- आ. शशि मित्तल जी
-: मत उठाओ कुल्हाड़ी । :-
हम रोशन हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं , बनकर भिखारी,
भिक्षा मेरी यही है कि पेड़ पर मत उठाइए कुल्हाड़ी ।
पेड़ बिना कहां से आयेगी हरियाली ,
हरियाली बिना बिगड़ जायेगी वातावरण हमारी ।।
वातावरण बिगड़ते ही मारे जायेंगे हम और आप बारी-बारी ,
जीते जी पेड़-पौधे लगाइए, लगाने की कार्यक्रम रखिए जारी ।
ये पेड़ पौधे संतान की तरह धन है हमारी ,
तो मत उठाइए पेड़ पर कुल्हाड़ी ।।
पेड़ नहीं तो कहां से फल से भरे रहेंगे डाली ,
बनना है तो बनिए एक बाग़ के माली ।
माली बनकर लगाइए हरियाली ,
पेड़ नहीं लगा सकते तो, मत उठाइए पेड़ पर कुल्हाड़ी ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
मो :- 6290640716
###### रोशन कुमार झा #### 2
नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 18-05-2020
दिवस :- सोमवार
विषय :- शहर
विधा :- कविता
विषय प्रदाता :- आ. हिमांशु गुप्ता जी
समीक्षक :-
(1) आ. प्रेमलता जी
(2) आ. डॉ भारती वर्मा बौड़ाई जी
-: हम शहर हूं । :-
बड़ी-बड़ी इमारतें ,
रोज़गार हम पालते ।
दिन रात हम कभी न हारते ,
हम शहर हूं , किसी को न निकालते ।।
मेरे पर अमीर रहते ,
और ग़रीब भी मेरे क़रीब रहते ।
हर कहीं भीड़ भाड़ , बस , ट्रेन , मेट्रो चलते ,
और लोग हमें प्यार से शहर, नगर और महानगर कहते ।।
सभी को शरण देता हूं ,
बदले में कुछ न लेता हूं ।
मैं शहर हारा न , विजेता हूं ,
हम रोशन भी गांव, घर , एक शहर का बेटा हूं ।।
जहां हर सुख-सुविधा है ,
इधर-उधर सही पर सब सीधा है ।
जीवन यापन करने के लिए अधिकांश गांव से विदा है,
मैं शहर हमारे पास रहने के लिए
सबके सब हम पर फ़िदा है ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
मो :- 6290640716
###### रोशन कुमार झा #### 3
नमन 🙏 :- वर्तमान अंकुर मंच
तिथि :- 18-05-2020
दिवस :- सोमवार
विधा :- कविता
विषय :- रोटी चीज नहीं छोटी
मुख्य आयोजक :- श्रीमान निर्मेश त्यागी जी
सह आयोजक :- आदरणीय सुनीता सोनू जी
-: रोटी से ही सब होती । :-
यह जीवन है छोटी ,
किसी की अधिकार न इस पर होती ।
हम रोशन हमें चाहिए न नव कपड़ा धोती ,
पर जीना है ,जीने के लिए चाहिए हमें दो रोटी ।।
स्वीकार न हमें हीरा मोती ,
चाहिए एक घर , चाहिए न हमें कोठी ।
तब ही बढ़िया लगता पढ़ने में पतरा पोथी ,
कब ? जब रहता पेट में रोटी ।।
कोई फेंकते तो कोई दो रोटी के लिए रोती ,
इसी दो रोटी के लिए कोई न चैन से सोती ।
चाहिए न हमें दवा ,गोटी ,
पर जीने के लिए चाहिए हमें दो रोटी ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
मो :- 6290640716
नमन 🙏 :- वर्तमान अंकुर मंच जरा सुनो
मन के हारे हार है मन के जीते जीत,हार जीत तो है हर एक के मित्र । रोशन कुमार झा कल का
आज का जरा सुनो
अभी जीते, जीत से पहले मिली हार,
हार में सबके सब समझा रहा हमें बीमार ।
रोशन कुमार झा
###### रोशन कुमार झा #### 4
नमन 🙏 :- काव्य कलश मंच
शब्द सुगंध क्रमांक :- 7
तिथि :- 18-05-2020
दिवस :- सोमवार
विषय :- तेरा देश पुकारे
विधा :- कविता
-: बुला रही है देश ।:-
कभी तू जिसे नकारे
आज वहीं देश तुम्हें पुकारे ।।
देश छोड़कर सब कुछ था विदेश में डाले ,
कुछ मांगता नहीं देश , आज भी इंतजार में हैं तुम्हारे ।।
रोक सकता था प्रवेश को ,
रोका न पर तुम भूल गया उस देश को ,
अपना समझा विदेश को ।
बदल लिया अपना वेश को ।।
गोरे न काले ,
न्यारे प्यारे ।
है सब हमारे ,
तो आ जाओ तेरा देश पुकारे ।
सुन लो पुकार ,
आ जाओ यहां के लाल ।
हम तुम्हारा देश रखेंगे ख्याल ,
तेरा देश पुकारे सच में पुकार रही है
कह रहा हूं हम रोशन कुमार ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
मो :-6290640716
######## रोशन कुमार झा ## 5
कविता :- हिन्दी ✍️ रोशन कुमार झा
ऐसी शहर है । :-
कोरोना है , सब घर में, मगर है ,
कौन वहीं कलकत्ता, दिल्ली मुंबई शहर है ।
चुप सा महल है ,
दवा नहीं कोरोना का , बचने के लिए दूरी बनाएं रखो
यही इसका दवा, कहो तो यही चरणामृत और शक्कर है ।।
चीन की चालाकी का चक्कर है ,
आज हमारा कोरोना से टक्कर है ।
लड़ना है कोरोना से, यही हमारा अक्ल है ,
घर में सब इसलिए चुप सा आज हमारा शहर है ।।
आने वाली खुशी की कल है ,
लाने वाले हम दल है ।
लायेंगे खुशियां, ये हमारा कोरोना से लड़ने का पल है ,
घर बैठे सब कोरोना से लड़ रहे हैं ,
इसलिए चुप सा हमारा शहर है ।।
बिना देखे ही कह रहे हैं हम रोशन कि अभी
मुस्कुराता हुआ नदी और नहर है ,
पर मुस्कुराने वाले इमारतों पर न लहर है ,
बाज़ार है पर न चहल है ।
सब कोरोना से लड़ रहे हैं , इसलिए चुप शांत
सा हमारा शहर है ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
मो :- 6290640716
इसे अस्वीकार किये साहित्य संगम संस्थान फिर दूसरा लिखें तब स्वीकार किये ।
######## रोशन कुमार झा ##
🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 16-05-2020
दिवस :- शनिवार
विधा :- काव्य समीक्षा
विषय :- संगम सवेरा वेबसाइट
-: संगम सवेरा वेबसाइट हमारे नज़र में । :-
वेबसाइट कहने से एक ऐसा भाव आता है, कि तालाब से सीधे समुद्र में चल जाना , जी हां ऐसा ही इसके नाम के शब्द में ही अर्थ छिपा हुआ है, वेब मतलब बड़ा, साइट मतलब स्थल , यानि बड़ा स्थल , देखा हूं हम रोशन और ऐसा किया भी हूं, अभी तक बहुत सारे रचनाकारों वेबसाइट तक पहुंच न पाए हैं, उनका मानना है, कि अपनी रचना दैनिक समाचार पत्र में ही प्रकाशित करवाये, इस कथन पर हमारा यह विचार है, कि अभी तक बहुत सारे समाचार पत्र रचना को वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं करते हैं, वे बस एक दिन के लिए काग़ज़ पर प्रकाशित कर देते हैं, कैसे उन सभी रचनाकारों को समझाऊं कि अभी आधुनिकता है , अभी सिर्फ समाचार पत्र पर प्रकाशित होने से काम नहीं चलने वाला है, अभी वेबसाइट पर जो संस्थाएं रचना प्रकाशित करते हैं, उनसे रचना को प्रकाशित करवाओ, आपकी रचनाएं प्रकाशित होंगे ही होंगे, साथ में आपका रचना का एक अपना लिंक हो जाएगा, तब जब चाहिए तब आप अपनी रचना को देख साझा यानि शेयर कर सकते हैं , ये सभी सुविधाएं हमारे संगम सवेरा वेबसाइट प्रदान कर रहे हैं, तब क्यों न उनसे मिलकर अपनी रचनाओं को वही प्रकाशित करवायें ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
मो :-6290640716 कविता :-16(32)
पर आज प्रमाण पत्र :-
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हम कविता :-14-05-2020 कविता :-16( 32) हम
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काव्य कलश मंच
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कलम लाइव पत्रिका :- नदी
https://kalamlive.blogspot.com/2020/05/nadi-ka-jivan.html
###### रोशन कुमार झा #### 2
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/05/1634-6.html
कलम ✍️ बोलती है " साहित्य समूह
क्रमांक :- 130
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