कविता :-16(50) लघुकथा

कविता :-16(50) , लघुकथा

नमस्ते 🙏 :- कलम ✍️ बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक :-143
दिनांक :- 02-06-2020
दिवस :-  मंगलवार
विषय :-  नदियाँ हमारी माँ
विधा :-  मुक्तक
संचालक :- आ . कुसुम लता "कुसुम" जी

नदियाँ हमारी माता है ,
कहो तो जीवन दाता है ।

पर्वत से निकलती ,
न किसी से डरती ।
अपने पथ पर चलती ,
नदी हमारी माँ, वही दुख दर्द हरती ।।

आगे बढ़ना, बढ़कर दिखाती है ,
हर वक्त हंसना मुस्कुराना सीखाती है ‌।
अंधकार से रोशन राह दिखाती है ,
माँ ही नदी और ये माटी है ।।

जहां जीवन गुजार रहा हूं ,
नदी हमारी माता, इनके बारे में यूं कुछ यही कहा हूं ।

✍️  रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो :-6290640716
ग्राम :- झोंझी मधुबनी बिहार

नमन 🙏 :- संगम सवेरा

" संगम सवेरा"- मासिक ई पत्रिका जुलाई 2020 अंक हेतु स्वरचित लघुकथा ।

-: बेटियाँ ऐसी हो । :-

झोंझीकुमारपुर  में तनु , नेहा, पूजा, मुस्कान और वर्षा एक ही कक्षा में पढ़ने वाली पाँच सहेली रहती रही,सब के सब धनी पर तनु ग़रीब होते हुए भी मन से धनी, भले अपने खाती या न खाती पर अपने गाँव में दूसरे को भूखा नहीं रहने देती, सब तो ट्यूशन पढ़ती पर तनु नहीं , माँ सरस्वती की दया उस पर रही, एक समय ऐसा आया कि उनकी चारों सहेलीयाँ भी उसी से पढ़ने लगी, और कहती यार तू इस तरह समझाती हो क्या बताऊं,सब सहेलीयाँ दुर्गा पूजा में नई नई कपड़ा लेती , पर तनु अपनी पढ़ाकर कमाई हुई पैसों से ग़रीबों की राह रोशन करती,अपने गांव के आसपास के गांवों के ग़रीब बच्चों को मुफ़्त में पढ़ाती,एक दिन जब तनु बच्चों को पढ़ाती रही तभी नेहा आकर बोली बहन तुम पढ़ाती रहो, हम तुम्हारी व पढ़ते हुए बच्चों की फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर समाजसेवी नाम से डाल देंगे, फिर क्या तुम बहुत दूर तक चली जाओगी, इतने में तनु बोल उठी , न बहन हमें दूर तक नहीं जाना,एक ग़रीब का दर्द दूसरा ग़रीब ही जानते,छवि खींचाकर ग़रीबी का मज़ाक नहीं उड़ा सकती, अगर धनी होती तो अपने पैसों से कई विद्यालय खोल देती,पर नहीं हूं, पर मेरी जो भी ज्ञान है उसे तो बाँट ही सकती हूं, गर्व है हमें तनु जैसी बेटियाँ पर, हे ईश्वर हर कहीं तनु जैसी बेटियाँ हो ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता

नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 02-06-2020
दिवस :- मंगलवार
विषय :-  अभ्यास
विधा :- छंद
विषय प्रदाता :-  आ . शिवानी शुक्ला जी

हम हार के आऊं , पर रहूं न उदास
हर वक्त करूं सफलता की तलाश ।
जीत मेरी मालिक , हम रोशन उसका दास ।।
जब तक हूं, तब तक करते रहूं अभ्यास ।।

कुछ लिखूं , कुछ पढ़ूं उपन्यास ,
पतझड़ बाद लाऊं बसंत की मास ।
हार के आऊं पर रहूं न निराश ,
वही से जीतकर आऊंगा, पर करूं तो अभ्यास ।।

जब तक है सांस ,
तब तक बुझाऊं प्यास ।
क्यों करूं जीवन की सत्यानाश ,
कुछ बनना है,
बनने से पहले क्यों न करूं बार - बार अभ्यास ।।

✍️  रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो :-6290640716


नमन 🙏 :- साहित्य उत्थान कोश
साप्ताहिक प्रतियोगिता :-
दिनांक :-02-06-2020
दिवस :- मंगलवार
विधा :- कविता
विषय :- पैमाना

ध्यान दें ध्यान ,तब है खाना ,
हम रोशन शिष्य , आप श्रीमान , यही है हमने माना ,
बढ़े हम हमारी शान , है बदलाव लाना
वहां तक जाऊं, जाने के लिए हो एक पैमाना ।।

है कविता, गीत,  है उसे गाना ,
जब आये साहित्य में हाइकु लिखना जाना ।
है जीवन , सम्पत्ति नहीं , पर चाहिए दाना ,
यह भी तो है जीवन की एक पैमाना ।।

जहां दया, प्रेम है दर्शाना ,
लघु जीवन है , कुछ घर परिवार के लिए है कमाना ,
हार नहीं मानेंगे , वह भी है ठाना ,
कहो यारों यह चाह भी तो है एक पैमाना ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
ग्राम :- झोंझी जिला:- मधुबनी बिहार
मो :-6290640716


नमन 🙏 :- हिन्दी काव्य कोश
तिथि :- 02-06-2020
दिन :- मंगलवार
विषय :-  सुरभीत-मुखरित पर्यावरण
विधा :- कविता

-: एक पेड़ लगाओ  । :-

आओ जी आओ ,हरियाली लाओ
एक पेड़ लगाओ , है पर्यावरण अपना इसे बचाओ ‌।।
फल खाओ ,जल लाओ ,जल देकर पेड़ बचाओ ,
और अपना ये वातावरण हंसाओ ।।

हम रोशन और आप मिलकर बदलाव लाओ ,
अपने जन्मदिन के दिन हर वर्ष एक पेड़ लगाओ ।
हरी भरी पेड़ पौधे से घर द्वार बाड़ी चमकाओ ,
एक पेड़ लगाकर इस कविता को गाओ ।।

आओ जी आओ ,पड़े ज़मीन में हल चलाओ
कोई पेड़ , तो कोई जल लाओ ।
पेड़ लगाकर  " वृक्षारोपण " की विधि दर्शाओ ।।

अपने करो घर परिवार और समाज से करवाओ ,
वृक्षारोपण की अभियान चलाओ ।
आज लगाओ कल सुख पाओ ,
आओ जी आओ, एक पेड़ लगाओ ।।

वृक्ष की महत्त्व खुद समझो और दूसरों को समझाओ ,
न समझे तो बार - बार बतलाओ ।
बतलाकर खुद भी और उससे भी एक पेड़ लगाओ ,
और क्या आप भी पर्यावरण रक्षक कहलाओ ।।

✍️  रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता
मो :- 6290640716
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी बिहार कविता :-16(39)

पूजा चार पेज की जीवनी भेजी , लिखकर धन्यवाद पूजा

आज








Popular posts from this blog

कविता :- 19(89)

कविता :- 16(77), 16(75),:- 16(76)

कविता :- 18(61),18(60), 18(59) ,18(58)