कविता :-16(49), लघुकथा, संगम सवेरा में प्रकाशित


कविता :- 16(49) लघुकथा :-2
नमन 🙏 :- साहित्य संगम संस्थान
तिथि :- 01-06-2020
दिवस :- सोमवार
विषय :-  ईमानदारी
विधा :- लघुकथा संस्मरण
विषय प्रदाता :-  आ . कलावती कारवा जी

-: रिक्शावाला की ईमानदारी । :-

बात करीब रात दस बजे की आस - पास की है,पूजा राजनगर रेलवे स्टेशन पर विश्वविद्यालय दरभंगा से काम काज निपटा कर आई, काफ़ी रात होने के कारण पूरा जगह सुनसान रहा, न गाड़ी नहीं कहीं आदमी, थोड़ी दूर पर एक रिक्शा रहा, वहां जाकर रिक्शा पर सवार हो गई, और क्या अपने घर चली गई , अपनी बस्ता तो ली पर रिक्शा पर ही काम की काग़ज़ की फाईल छोड़ दी , इस तरह दो दिन बीत गई, पूजा परेशान थी , कि कहां फाईल छोड़ दी, डर के मारे घर वालों को न कह पा रही थी, रिक्शावाला भी अपना रिक्शा लेकर दो दिन में कितने जगह गये आये पर वह फाइल देखा नहीं, फाईल रिक्शा वाला का बेटा देखा उसमें पैसे और रिजल्ट के काग़ज़ सब रहें, दौड़े - दौड़े वह पापा के पास आया, और बोला पापा पापा यह फाईल पूजा नाम की लड़की की है , इसमें पैसे और उसके काम के काग़ज़ भी है, पता न कहां रहती है, क्यों न पापा इस फाइल को पुलिस स्टेशन में दे आये , न बेटा सब पुलिस ईमानदार ही नहीं होता , पैसों रख लेंगे, काग़ज़ कहीं फेक देंगे , कुछ देर हमें सोचने दो हां हां मंगलवार को रात दस के आसपास एक लड़की को स्टेशन के पास ही ले गये रहे, जाकर उसके घर के पास पता लगाता हूं, उस मौहल्ला में जाकर रिक्शा वाला पूछा एक आदमी से यहां कोई पूजा नाम की लड़की रहती है क्या , तो वह आदमी बोला हां क्या काम है मैं ही हूं उसका पिता, रिक्शावाला साहब यह फाईल आपकी लड़की की है , इसमें पैसे और उसकी काम काज की काग़ज़ है, ये लीजिए साहब , फिर रिक्शावाला जाने लगा, तब पिता वैसे कैसे जाते हो , आज के जमाने में तुम्हारे जैसे ईमानदार कहां, अपनी ईमानदारी की परिणाम तो लेते जाइए, कल से आप हमारे कार्यालय में काम करने आइये ,फिर क्या रिक्शावाला का जीवन अन्धेरा से रोशन हो गया, जो रिक्शा चलाकर महीने में पाँच हजार भी नहीं कमा रहे थे,वह अब महीने के पन्द्रह हजार कमाने लगे, कैसे तो ईमानदारी के कारण ।

✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो :-6290640716

नमस्ते 🙏 :- कलम ✍️ बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक :-142
दिनांक :- 01-06-2020
दिवस :-  सोमवार
विषय :- खुली बाज़ार
विधा :-  चित्र - लेखन
प्रदाता :- आ . छविकांत शर्मा जी

देखकर आज की प्रात: काल ,
आई मन में कई विचार ।
खुला दुकान खुली बाज़ार ,
चल अब रोशन शुरू कर व्यापार ।।

नुकसान पहुंचा, उसे भरने के लिए हो तैयार ,
फिर भारत को चमकाये, हम सब यहां के लाल ।
सावधानी से खोले दुकान दुकानदार ,
करें न बेईमानी, बढ़ाए मान ईमानदार ।‌।

ताकि हम बढ़े और बढ़े हमारा देश ,
आज फिर कई महीनों बाद हुआ है
,काम काजों में प्रवेश ।
माक्स लगाकर घर से निकालें अपना वेश ,
बढ़े हमारी आमदनी और हो कोरोना का शेष ।।

✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो :-6290640716

नमन 🙏 :- काव्य कलश मंच
शब्द सुगंध क्रमांक :- 9
तिथि :- 01-06-2020
दिवस :- सोमवार
विषय :-  बेटियाँ
विधा :-  कविता

-:   वह बेटियां नारी है  !:-

तुम्हारा और मेरा न, यह बेटियां हमारी है ,
पूजा करने योग्य सरस्वती, दुर्गा वही काली है !
कल भी , आज भी और भविष्य की भी वही लाली है ,
तो हे ! दुनिया वालों सहयोग करो ,वह बेटियां नारी है !

पढ़ने दो , बढ़ने दो जब तक वह कुँवारी है ,
जब-जब आपद आई है , तब-तब बेटियां ही संभाली है !
भंयकर रूप धारी है !
रानी लक्ष्मीबाई बनकर, बेटियां ही दुष्ट को मारी है ,
गर्व है हमें हर एक बेटियां पर ,
वह तेरी मेरी नहीं , वह बेटियां हमारी हैं !!

उसे स्वतंत्र रहने दो , उसी के लिए धरती की हरियाली है ,
बेटियां से ही सुख-सुविधा सारी है !
वह बिहारी न बंगाली वह दुनिया वाली है ,
इज़्ज़त करो यारों , वह बेटियां नारी है !!

बेटियां ही लक्ष्मी उसी से होली,ईद और दीवाली है ,
अभी जो कोरोना जैसी महामारी है !
उससे भी लड़ने के लिए बेटियां तैयारी है ,
हम रोशन बेटियां की रक्षा के लिए,
आप सभी पाठकों के समक्ष बनें भिखारी है ,
मेरी भिक्षा यही है , कि बेटियां की इज़्ज़त करो
वह तेरी मेरी नहीं वह बेटियां हमारी हैं !!

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता  भारत
मो:-6290640716



##### प्रभात खबर #### कविता  :-  16(18)
पहला प्रभात खबर :- सोमवार 7 दिसंबर, 2015 
10-05-2020 रविवार कविता:-16(27)

हिन्दी -: घर को बनायें प्राथमिक शिक्षा का केंद्र ! :-

बदलते परिवेश में शिक्षा प्रणाली, परिपाटी व परंपरा भी
बदलती जा रही है. आज अभिभावक दो वर्षीय बच्चे
को प्ले स्कूल में डाल कर कर्त्तव्य की शुरुआत कर देते
हैं, बच्चें को जल्द ही समझदार बनाना अपनी जिम्मेदारी
समझते हैं, लेकिन अनजाने में वे अपने बच्चों को समाज
और परिवार से दूर करने का भी काम करते हैं.
बच्चे का प्राथमिक स्कूल घर, परिवार और समाज ही है ,
जो नैतिकता, सामाजिकता व भाईचारे का पाठ पढ़ाता
है. बालक माता-पिता, दादा-दादी , भाई-बहन,
रिश्तेदारों आदि से मातृभाषा सीखता है, इससे संस्कार
भी मिलता है, लेकिन कच्ची उम्र में ही स्कूलों के दरवाज़े
तक पहुंचा देने पर वे व्यावहारिक ज्ञान से अछूत रह जाते
हैं, इसलिए जरूरी है कि अभिभावक बच्चों को स्कूल
भेजने के पहले घर को ही प्राथमिक शिक्षा का केंद्र बनाएं,

                  🙏 धन्यवाद ! 💐🌹

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता 
04-05-2020 सोमवार  मो :-6290640716
রোশন কুমার ঝা, Roshan Kumar Jha
• रोशन कुमार, हावड़ा
05-12-2015 शनिवार लिखकर ईमेल किये
लिलुआ से 07-12-2015 सोमवार को प्रभात खबर
में प्रकाशित हुआ ! यह मेरी पहली रचना है !
कोलकाता सोमवार 7, दिसंबर,2015 मार्ग शीर्ष
कृष्ण 11 संवत 2072 ( फ्लैग डे ) साहित्य लाइव
सशस्त्र सेना झंडा दिवस !
आज 01-06-2020 सोमवार संगम सवेरा में प्रकाशित पृष्ठ :- 28 क्रमांक :- (92)
https://www.sangamsavera.in/2020/06/2020_3.html?m=1#comments
रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी से पहला
[01/06, 12:16] R: कविता बादल kaviat Badal >> http://kalamlive.blogspot.com/2020/06/kaviat-badal.html
[01/06, 12:16] R: रिक्शावाला की ईमानदारी   Rikshawala  ki imandari >> http://kalamlive.blogspot.com/2020/06/rikshawala-ki-imandari.html

[31/05, 22:42] R: नमन 🙏 :- इंक़लाब आनलाइन पत्रिका
लघुकथा (1)
विषय :- सत्य का दर्पण

-: रिक्शावाला की सत्यता । :-

बात करीब रात दस बजे की आस - पास की है,पूजा राजनगर रेलवे स्टेशन पर विश्वविद्यालय दरभंगा से काम काज निपटा कर आई, काफ़ी रात होने के कारण पूरा जगह सुनसान रहा, न गाड़ी नहीं कहीं आदमी थोड़ी दूर पर एक रिक्शा रहा, वहां जाकर रिक्शा पर सवार हो गई, और क्या अपने घर चली गई , अपनी बस्ता तो ली पर रिक्शा पर ही काम की काग़ज़ की फाईल छोड़ दी , इस तरह दो दिन बीत गई, पूजा परेशान थी , कि कहां फाईल छोड़ दी, डर के मारे घर वालों को न कह पा रही थी, रिक्शावाला भी अपना रिक्शा लेकर दो दिन में कितने जगह गये आये पर वह फाइल देखा नहीं, फाईल रिक्शा वाला का बेटा देखा उसमें पैसे और रिजल्ट के काग़ज़ सब रहें, दौड़े - दौड़े वह पापा के पास आया, और बोला पापा पापा यह फाईल पूजा नाम की लड़की की है , इसमें पैसे और उसके काम के काग़ज़ है, पता न कहां रहती है, क्यों न पापा इस फाइल को पुलिस स्टेशन में दे आये , न बेटा सब पुलिस ईमानदार ही नहीं होता , पैसों रख लेंगे, काग़ज़ कहीं फेक देंगे , कुछ देर हमें सोचने दो हां हां मंगलवार को रात दस के आसपास एक लड़की को स्टेशन के पास ही ले गये रहे, जाकर उसके घर के पास पता लगाता हूं, उस मौहल्ला में जाकर रिक्शा वाला पूछा एक आदमी से यहां कोई पूजा नाम की लड़की रहती है क्या , तो वह आदमी बोला हां क्या काम है मैं ही हूं उसका पिता, रिक्शावाला साहब यह फाईल आपकी लड़की की है , इसमें पैसे और उसकी काम काज की काग़ज़ है, ये लीजिए साहब , फिर रिक्शावाला जाने लगा, तब पिता वैसे कैसे जाते हो , आज के जमाने में तुम्हारे जैसे ईमानदार कहां, अपनी ईमानदारी की परिणाम तो लेते जाइए, कल से आप हमारे कार्यालय में काम करने आइये ,फिर क्या रिक्शावाला का जीवन अन्धेरा से रोशन हो गया, जो रिक्शा चलाकर महीने में पाँच हजार भी नहीं कमा रहे थे,वह अब महीने के पन्द्रह हजार कमाने लगे, कैसे तो ईमानदारी के कारण ।

✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो :-6290640716

[01/06, 15:46] R: नमन 🙏 :- इंक़लाब आनलाइन पत्रिका
लघुकथा (2)
विषय :- सत्य का दर्पण

लघुकथा :-

-:  प्रेम सत्य है। :-

नेहा , अणु, और जूली में ऐसी मित्रता थी कि पूछो मत , पूजा पाठ में माहिर पर कर्म में नहीं, और वह रोशन लला ज्ञानी होते हुए भी अज्ञानी वह कैसे तो आईए बताते है, लला की बारहवीं की परीक्षा और उन तीनों की ग्यारहवीं की, वह बेचारा अपना परीक्षा को महत्व न देकर अपनी प्रिय की परीक्षा की तैयारी में लग गये दोनों का राजनीति शास्त्र का ही परीक्षा रहा,फिर क्या लला तीनों को दिन रात पढ़ाये , परिणाम आया वह तीनों तो सफल हुई, लला भी प्रथम श्रेणी से बारहवीं पास हुआ, और
यही सच्चा प्यार झलकने लगता है, कि राजनीति विज्ञान में ही लला का सबसे अधिक अंक आया, फिर क्या वह तीनों लला से ही बारहवीं कक्षा तक पढ़ी , वे लोग भी अच्छे अंक बारहवीं में प्राप्त की,तब तक लला का उतना मान सम्मान करती रही कि पूछो मत , आज वही लला को देखकर तीनों के तीनों मुंह घुमा लेती हैं .तो क्या लला का मान सम्मान घट गया नहीं,वह परिश्रम से अपने हर कामयाबी को पाते गया,
यहां वक्त के साथ सब बदल जाते हैं, आप लोग दरियादिल रहीम को जानते ही होंगे, उनके साथ भी ऐसे ही हुआ, ये दुनिया " फूल तोड़ लेते और कांटे छोड़ देते " ।

" वे रहीम अब बिरह कहँ ,जिनकर छाँह गंभीर ,
बागन बिच - बिच देखित सेहुड़ कुटज करीर । ‌।

✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो :-6290640716

[01/06, 16:01] इंकलाब पत्रिका: आपका संक्षिप्त जीवन परिचय
[01/06, 16:01] इंकलाब पत्रिका: और एक फोटो
[01/06, 16:02] इंकलाब पत्रिका: 'सत्य का दर्पण ' साझा लघुकथा संग्रह शीघ्र प्रकाश्य  -

रचना भेजने की अन्तिम तिथि - 4 जून 2020

प्रिय साहित्यकार / साहित्यप्रेमी मित्रों आपको यह जानकर बहुत खुशी होगी कि  इंक़लाब ऑनलाइन हिंदी पत्रिका दीपक क्रांति के संपादन में ' सत्य का दर्पण' साझा लघुकथा संग्रह ई-बुक का प्रकाशन करने जा रही है। इस संग्रह में किसी भी विषय पर आधारित एक रचनाकार की 2 लघुकथाएँ सम्मिलित की जाएंगी।

* लघुकथा 300 शब्दों से अधिक नहीं होनी चाहिए।

इस संग्रह में सम्मिलित होने के इच्छुक रचनाकार निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यानपूर्वक पढ़ें।

* यह ईबुक इंकलाब ऑनलाइन हिंदी पत्रिका द्वारा प्रकाशित होगी।

* प्रकाशन के बाद यह ई-बुक www.inkalabhindi.comAmazon.in और  Google playstore  पर उपलब्ध होगी।

* इस बुक में संकलित रचनाकारों को ' सत्य सारथी' सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।

*  इस बुक को सभी सोसल साइट पर साझा किया जाएगा।

*बुक की समीक्षा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित कराई जाएगी।

* इस बुक में सिर्फ 40 रचनाकारों को ही स्थान दिया जाएगा।

* इस बुक में सम्मिलित होने के लिए आप निम्न बैंक खाते में मात्र 150 रुपये सहयोग राशि जमा कर अपनी 2 मैलिक  लघुकथाएँ ( किसी भी विषय पर आधारित) और अपनी एक फोटो व जीवन परिचय और सहयोग राशि का स्क्रीनशॉर्ट हमें ई -मेल inkalabebooks@gmail.com या व्हाट्सएप नम्बर 9819273616 पर प्रेषित करें।

बैंक विवरण -
BANK- STATE BANK OF INDIA
ACCOUNT HOLDERS NAME - RAMAKANT YADAV
ACCOUNT NUMBER- 39034575744
IFSC CODE - SBIN0001266
BRANCH - GOREGAON( WEST ) MUMBAI

* Paytm, google pay , phone pay अथवा freerecharge app से पेमेंट करने के लिए मोबाइल नंबर 9819273616 का उपयोग करें

*जीवन परिचय इस प्रकार होना चाहिए
नाम-
जन्मतिथि-
जन्मस्थान-
पिता/माता/का नाम
शिक्षा-
कार्य-
पता-
ई-मेल-
मोबाइल व  व्हाट्सएप नंबर
प्रकाशन-
सम्मान- ( यदि प्राप्त हो )

* सहयोग राशि भुगतान करने के बाद उसकी रशीद आप हमें whatsapp नंबर 9819273616 पर प्रेषित करें।

*किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए व्हाट्सएप नंबर 9819273616 पर सम्पर्क करें।
[01/06, 16:10] R: हमारा साहित्यिक जीवन :-

रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता, कलकत्ता विश्वविद्यालय (हिन्दी आनर्स द्वितीय वर्ष )
मो :-6290640716, (7980860387)
ई-मेल :- roshanjha9997@gmail.com
बचपन का नाम :- गंगाराम
पिता का नाम :- श्रीष्टु झा
माता :- श्रीमती पूनम देवी
दादा :- स्वर्गीय केदार नाथ झा
दादी :- फूल दाई देवी
जन्म की तारीख :-13-06-1999
जन्म स्थान ; ग्राम :- झोंझी, जिला :- मधुबनी, बिहार
गांव :- झोंझी , जनपद :- मधुबनी
भाई :- चार हम बड़े (रोशन, राहुल,राजन, आनंद )

### सेवा कर रहे हैं :-
(1)
31 वीं बंगाल बटालियन एनसीसी फोर्ट विलियम कोलकाता-बी , कम्पनी :-5
पंजीकृत संख्या :- WB17SDA112047
(2)
नरसिंहा दत्त कॉलेज सेंट जॉन एम्बुलेंस
(3)
द भारत स्काउट और गाइड ,पूर्व रेलवे हावड़ा जिला
वेरियांग स्काउट और गुलमर्ग गाइड बामनगाछी समूह
(4)
रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी राष्ट्रीय सेवा योजना
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा

(5) विगत तीन वर्ष से 11 व 12 वीं कक्षा के (विज्ञान व
वाणिज्य के छात्र-छात्राओं को " हिन्दी विषय " व कला विभाग के समस्त विषयों को निःशुल्क पढ़ाते आ रहे हैं !

हम जो भी रचते हैं,वह सब हम इन संस्थाओं से पाये अनुभव पर और आज जो भी हम कविता लिखते हैं ,
वह हम अपने गुरु अमिताभ सिंह (बच्चन सर ) से सीखें है ! गुरु जी को बहुत बहुत धन्यवाद !
लेखन कार्य में हमारे दोस्त, आशीष, धर्मेंद्र, मोनू और
भी , कालेज का प्रोफेसर, व अपने छात्र-छात्राओं का
भी सहयोग रहा है !
और रचने की जो भाव होती है ,वह दुख दर्द से वह भी
मैं पा चुका हूं !

2015 :-
(1) 10 वीं कक्षा में हिन्दी में सर्वाधिक अंक लाने पर सन्मार्ग
समाचार पत्र के रामवतार गुप्त प्रतिभा पुरस्कार से हमें सम्मानित किया गया,
2017 :-
(2) वही 12 वीं में मिथिला स्टूडेंट यूनियन पश्चिम बंगाल
पुरुस्कार से सम्मानित हुए,
और रचनात्मक क्षेत्र में (2017)
(3) हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में लिखें कविता से
कलकत्ता विश्वविद्यालय व श्री शिक्षायतन कॉलेज से प्रमाण पत्र हासिल किये !
तब से आज तक साहित्य की सेवा तन-मन से कर रहे है, और करते रहेंगे ।



आज जूली और उसकी मां को देखें दोपहर में मोनू दिखाया, बोला एक समय मां के सामने बात करती रही
शाम में हम जाते रहे राशन दुकान पर नेहा रही मोनू दिखाया, पीछे देखे तो देखकर हंसती रही, एनसीसी वाला पेंट
आज 500 दी ट्यूशन वाला अंशु 77/R mirpara road Liluah ashirbad bawan
कोरोना लॉकडाउन के बाद बाज़ार सब आज खुला
आज सुबह उठे हम मोनू बिटु रोशन दौड़ने गये ।
कविता :-16(49) सोमवार 01-06-2020


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