कविता :- 16(05) हिन्दी -: कविता से प्यार हुआ धीरे-धीरे ! :-


कविता :-  16(05)  हिन्दी ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳

         -: 🙏 कविता से प्यार हुआ धीरे धीरे  🙏  :-

बिना बसंत के ही खिले ,
लिखें मैं रोशन कविता, शब्द-शब्द से मिले ,
मिलते ही हुआ कविता से  प्यार वह भी धीरे धीरे !
अब कविता ही मेरी जन्नत और वही है मेरी हीरे ,

जिसको देना रहा दिल रे ,
वहां खूब लगा रहा भीड़ रे !
क्यों ? खूब सुन्दर रहा वह शरीर रे ,
उस सुन्दरी की दिल हम कैसे चुराते ,
हम चुराये न पर कविता चुरा लिया मेरा दिल रे !

चुराया , कुछ बात रहा इसीलिए ,
कविता से हम यूँ ही मिले ,
फिर क्या देखें आसमान नीले-नीले !
पता न चला इतना प्यार हो गया कविता से धीरे-धीरे !

                            🙏 धन्यवाद ! 💐🌹

® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
রোশন কুমার ঝা, Roshan Kumar Jha
25-04-2020  शनिवार 08:20 मो:-6290640716
https://nojoto.com/profile/97b5a68f954092778473e1e14525e828/roshan-kumar-jha आज से कविता:-16(05)
https://nojoto.com/post/ce5f75761ba5f84778a1b3cf9817b69e/
https://youtu.be/5IQNQhWczdU
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/04/1604.html
https://allpoetry.com/Roshan_Kumar_jha
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/04/1601.html
http://roshanjha1999.blogspot.com/2020/04/1591.html
http://roshanjha9997.blogspot.com/2020/04/1598.html  सभी  कविता:-16(01)
https://youtu.be/aI5trQZfXpw :-15(16)
https://6290640716.tumblr.com/post/616329153148502016 

Popular posts from this blog

कविता :- 19(89)

कविता :- 16(77), 16(75),:- 16(76)

कविता :- 18(61),18(60), 18(59) ,18(58)