कविता :- 16(21) मैथिली, व कविता :-15(03) हिन्दी
कविता:- 16(21) मैथिली ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
कविता :-15(03) हिन्दी
-: 🙏 आबूं नैई लेकिन कोरोना भगाबूं ! 🙏:-
घर सऽ बाहर नैई आबू ,
घर पर रैही कऽ कोरोना भगाबूं !
हम रोशन के विनीत अछि कि माधव के गुण गाबूं ,
अखन घोरे पर रहूं अहाँ सभ भैया आर बाबू !
मिल कऽ सोब गोटा बदलाव लाबूं ,
एखन घोरे पर रहि कऽ , नैइ कमाबू !
एक नीक आदमी के फ़र्ज़ निभाबूं ,
कोरोना मुक्त मिथिला के साथ कोरोना मुक्त भारत बनाबूं !!
केतक अछि अहाँ के क़ाबू ,
ओऽ सऽ अहाँ कोरोना भगाबूं !
घोरे पर रहि कऽ इअ महीना बीताबू ,
कोरोना के हरा कऽ अपन भारत जीताबू !!
दुख तक़लीफ़ सैह कऽ नीक दिन लाबू ,
केअ अपने लोगेन भईया आर बाबू !
बाहर जेअ के जे इच्छा अछि होअ दबाबू ,
कोरोना भगा कऽ फेर सँ ओहि दिन के सुख पाबू !!
🙏 धन्यवाद ! 💐🌹
® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
06-05-2020 बुधवार 07:07 (मो-6290640716)
Roshan Kumar Jha, রোশন কুমার ঝা .
कविता :- 15(03) हिन्दी ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
-: तू मेरी मैं तेरी थी !:-
मैं रोशन यह ज़िन्दगी तेरी थी ,
तब ही अपना मानती थी , जब तू अकेली थी !
तू तो लुटी ही और तुम्हारी लुटने वाली सहेली थी ,
आज किसी और की हो गई यह तुम्हारी नहीं मेरी
क़िस्मत की फेरी थी !!
तब ही पूजा करने योग्य फूल तू चम्पा और चमेली थी ,
जब तू मेरी थी !
तुम्हारी जिन्दगी में किसी के आने की देरी थी ,
बदल गई तू , ऐसा कौन सा पहेली थी !!
तू मेरी मैं तेरी थी ,
कैसे भूलें वह दिन , जब तू मेरे साथ खेली थी !
सुन्दर रूप, सुन्दर चाल चलने वाली तुम्हारी एड़ी थी ,
छोड़कर चली गई, क्या इतने ही दिन की सफ़र मेरी थी !!
मेरी डांट फटकार सब झेली थी ,
कब ? जब तू अकेली थी !
छोड़कर जाना रहा ,यह सोच तेरी थी ,
तुम खुश हो न , फुटा क़िस्मत तो मेरी थी !!
🙏 धन्यवाद ! 💐🌹
® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
21-01-2020 मंगलवार 12:01
06-05-2020 बुधवार कलम लाइव पत्रिका में
प्रकाशित हुआ कविता :-16(21)
রোশন কুমার ঝা, Roshan Kumar Jha
तू मेरी मैं तेरी थी >> http://kalamlive.blogspot.com/2020/05/blog-post_11.html
[06/05, R: गुरु जी के शादी सालगिरह http://kalamlive.blogspot.com/2020/05/guru-ji-ki-saalgirah.html
[06/05, 12:47] R: शादी सालगिरह की ढेर सारी शुभकामनाएं http://kalamlive.blogspot.com/2020/05/shadi-ki-saalgirah-ki-dhersaari-shubhkamnaye.html
[06/05, 12:54] R: मैथिली कविता आबूं नैई लेकिन कोरोना भगाबूं > http://kalamlive.blogspot.com/2020/05/maithili-kavita-roshan-kumar-jha.html
[ तू मेरी मैं तेरी थी >> http://kalamlive.blogspot.com/2020/05/blog-post_11.html