कविता :-14(28) सात कविता

रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता 
मो :- 6290640716
11-05-2020 सोमवार कविता :-16(28)

संगम सवेरा रचना आमंत्रण जून 2020 के लिए कविताएं :-
11-05-2020 भेजें :-
SANGAMSAVERA@GMAIL.COM
      

-:   वह बेटियां नारी है  !:-।        कविता :-1

तुम्हारा और मेरा न, यह बेटियां हमारी है ,
पूजा करने योग्य सरस्वती, दुर्गा वही काली है !
कल भी , आज भी और भविष्य की भी वही लाली है ,
तो हे ! दुनिया वालों सहयोग करो ,वह बेटियां नारी है !

पढ़ने दो , बढ़ने दो जब तक वह कुँवारी है ,
जब-जब आपद आई है , तब-तब बेटियां ही संभाली है !
भंयकर रूप धारी है !
रानी लक्ष्मीबाई बनकर, बेटियां ही दुष्ट को मारी है ,
गर्व है हमें हर एक बेटियां पर ,
वह तेरी मेरी नहीं , वह बेटियां हमारी हैं !!

उसे स्वतंत्र रहने दो , उसी के लिए धरती की हरियाली है ,
बेटियां से ही सुख-सुविधा सारी है !
वह बिहारी न बंगाली वह दुनिया वाली है ,
इज़्ज़त करो यारों , वह बेटियां नारी है !!

बेटियां ही लक्ष्मी उसी से होली,ईद और दीवाली है ,
अभी जो कोरोना जैसी महामारी है !
उससे भी लड़ने के लिए बेटियां तैयारी है ,
हम रोशन बेटियां की रक्षा के लिए,
आप सभी पाठकों के समक्ष बनें भिखारी है ,
मेरी भिक्षा यही है , कि बेटियां की इज़्ज़त करो
वह तेरी मेरी नहीं वह बेटियां हमारी हैं ।।

       #########( 2) #######

-:    बेटियाँ को बचाओ अख़बार   !:-

हो रहे हैं , बेटियों की बलात्कार ,
देख रहीं हैं ये हमारी नपुंसक सरकार !
क्या करूं ? बहुत कुछ कर सकता हूं हम रोशन कुमार ,
अरे ! बेटियाँ हैं कुछ तो इसके बारे में
प्रकाशित करो अख़बार !!

आप मत बनों दलाल ,
आप भी हो किसी बहन,बेटी के लाल !
सरकार का क्या है , कर देते "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ "
जैसी अभियान की प्रचार ,
ठीक बेटियां पर कुछ न कुछ घटना घट जातें
उसी प्रातःकाल !!

तो बताओ कौन है,  इसके जिम्मेदार ,
आप से ही नहीं , मैं खुद से भी पूछता हूं ये सवाल !

तो जवाब आया है कि मैं हूं  और आप है ,
कैसे तो जानिए, बगल में कुछ घटना घट जातें
तो कहते मैं थोड़ी न उसका बाप है !
अरे यही भावना पाप है ,
क्या दुश्मनों को मार भगाओंगे जब आपस में ही न
मेल-मिलाप है !

शून्य को भी सितारे बना देते हो आप अख़बार ,
बेटियों की करने के लिए देखभाल !
रखें है शीर्षक " बेटियाँ  " तन-मन से कर रहा हूं
संगम सवेरा पत्रिका से प्रचार ,
बेटी है तब हम और बेटियों से ही है यह संसार !!

#########  कविता :- 3  #######

-:    बेटियाँ तुम्हारी भलाई हो   !:-

मैं नमक रोटी खाऊं , पर तुम्हारे लिए मलाई हो ,
वही करूं हम रोशन जिससे तुम्हारी बेटियाँ भलाई हो !
बेटियाँ तुम्हारे लिए हमें जग से लड़ाई हो ,
आगे तुम चलना और तुम्हारे आगे मेरी कलाई हो !

ऐसा नियम हो ग़लत की पकड़ाई हो ,
वही पढ़ूं , जिसमें बहन और बेटियों की भलाई हो !
तुम बहन, बेटियाँ क्यों डराई हो ,
उठो , उठो तुम तो तिरंगा फहराई हो !!

मेरे लिए नहीं , तुम्हारे लिए मिठाई हो ,
सपना है मेरी,
बेटियाँ की अपने मन से ही विदाई हो !
तब तक उसकी पढ़ाई हो ,
बहन की साथ निभाये , सिर्फ भारत का ही नहीं,
निभाने के लिए दुनिया का ऐसा भाई हो !

आगे बढ़ने से जो बेटियों को रोकें, उस पर कारवाई हो ,
उसी पर इतिहास बनें जो, बेटियों की सुख-सुविधा
के लिए कुछ न कुछ बनवायी हो !
तुम बेटियाँ ही लक्ष्मी , तू ही धन लायी हो ,
आगे बढ़ बहन पीछे-पीछे हम तुम्हारा भाई हो !

####### (4) #####

-: आइए वीर हनुमान तोड़िए कोरोना की गुमान !:-

कोरोना भगाने में असफल रहा कला और विज्ञान ,
तब हम निर्धन रोशन का पुकार सुनिए भगवान !
आइए आप ही पवनपुत्र वीर हनुमान ,
और तोड़िए ये दुष्ट कोरोना की गुमान !!

साईकिल से हवाई जहाज तक बनायें इंसान ,
पर आज कोरोना जैसी मुसीबत में
व्यर्थ रहा हम मानव के ज्ञान !
कोरोना भगाने के लिए लगाकर आयें अनुमान ,
तब अब जल्दी आईयें रामभक्त वीर हनुमान !!

वह शक्ति दो घर पर रहकर सरकार के नीति नियम लूं मान ,
बंद पड़े हैं, हाट, बाज़ार , दुकान !
पर्वत लिए उठा , आप में है परम शक्ति हनुमान ,
तब कोरोना से दूर करों प्रभु ! ताकि हम भारतीय
फिर से नव जीवन पाकर करूं भारत मां की चुमान !!

मां सरस्वती की दया से लिखा हूं कविता,भले ही मैं
रोशन कोरोना में हो जाऊं कुर्बान ,
पर हे!  राम अपने भक्त हनुमान के माध्यम से
लौटा दे धरती की मुस्कान !
ये सिर्फ हमारी नहीं, समस्त मानव जाति की है ज़ुबान ,
तब कोरोना भगाने के लिए सिर्फ एक बार आ जाओ
पवनपुत्र हनुमान !!

####### (5) #####

-:  हम सब अतिथि है  !:-

सब यहां अतिथि है ,
सुख-दुख से जीवन बीती है !
आना-जाना ही तो रीति है ,
अमीर हो या गरीब अंतिम संस्कार के लिए
तो यही मिट्टी है !!

जीव-जंतु हाथी और चींटी है ,
क्या कहूं मैं रोशन यह ज़िन्दगी भी मीठी है !
जन्म लिए तो मरने का भी एक तिथि है ,
क्या हम क्या आप , हम सभी यहां के अतिथि है !!

जो कल जवान रहें, वही आज बूढ़ा हुए ,
समय के साथ कृष्ण-राधा भी जुदा हुए !
अमृत भी विष, विष भी समय के साथ सुधा हुए ,
समय की बात है यारों , समय बदलते होशियार भी बेहूदा हुए !

एक मां की ही बेटा सम्पत्ति बांटने में भाग लेते ,
पत्नी आते ही मां-बाप को त्याग देते !
जिसे पाल पोस कर बड़ा करते वही संतान अंतिम
वक्त आग देते ,
सब मतलबी है यारों , सिर्फ अपना काम पर ही दिमाग़ देते !!

तो कोई दिमाग़ लगाकर भी हारा , कोई हार
के बाद भी जीती हैं ,
सफलता-असफलता ही तो जिन्दगी की नीति है !
जिंदगी पूजा पाठ,लेखन कार्य ,अर्थ व्यवस्था, संस्कृति
और राजनीति में ही बीती है ,
तब हम आप नहीं ,कहों यारों हम सब अतिथि है  !!

####### (6 ) #####

-:  वह अब हैं न मेरी दिवानी !   !:-

हम जो कहें वह मानी नहीं ,
इसलिए वह आज मेरी रानी नहीं !
उससे बढ़कर कोई स्यानी नहीं ,
दुनिया के लिए समंदर हूं , पर अपने पास 
पीने के लिए पानी नहीं !!

उसके अलावा मेरी कोई कहानी नहीं ,
जगा हुआ है मेरी सोई हुई वाणी नहीं !
अब लाभ- हानि नहीं ,
क्योंकि अब कोई मेरी दिवानी नहीं !!

उसके लिए हमसे बढ़कर कोई दानी नहीं ,
देते रहे, लेती रही उससे बढ़कर कोई स्यानी नहीं !
पता रहा छोड़कर जायेगी , फिर भी लुटाये हम रोशन
से बढ़कर कोई अज्ञानी नहीं ,
प्यार- मोहब्बत से जो दूर रहा उससे
बढ़कर कोई ज्ञानी नहीं !!

हम रहें कुत्ता , वह कानी नहीं ,
सब कुछ देखी , फिर भी वह मुझे अपना मानी नहीं !
मुझे अपना बनाने के लिए वह कभी भी
अपने मन में ठानी नहीं ,
इसलिए वह आज मेरी रानी नहीं !!

    ####### (7) #####

  लेखक एक सदी का और सरकार पांच सरकार का  !:-

मैं एक सदी के कवि , आप पांच साल के सरकार है ,
आपका प्रशंसा क्यों करूं , आपका वर्णन करने का
मेरा न विचार है !
आदत से आप लाचार है ,
कहते ही नहीं , आप दिखाते भी हो कि हम सरकार है !

आज सरकार मोदी और नीतीश कुमार है ,
अगला पांच साल में कोई और आने के लिए तैयार हैं !
पांच दो बार बने तो दस , उतना ही साल का अख्तियार है ,
हम रोशन एक सदी के लेखक हमें मानवता से ही प्यार है !!

आपका चुनाव प्रचार है ,
बेरोजगारी से शहर, गांव बीमार है !
क्यों ? और कैसे आपकी बड़ाई करूं, आप तो
सिर्फ पांच साल के सरकार है ,
हम एक सदी के कवि हमें रचना करके समाज को सुमार्ग
पर ले जाना ही मेरी त्यौहार है !!

आपका पीछे हवलदार है ,
हम गरीब आपका शिकार हैं !
मैं रोशन क्यों, आपका वर्णन करूं, आप तो सिर्फ
पांच साल के सरकार है ,
वर्णन करूं या न करूं सरकार का , बताओ मेरे
प्यारे पाठको आज आप सभी से मेरा यही सवाल है !!

समाप्त !             धन्यवाद श्रीमान 🙏💐

-: आइए वीर हनुमान तोड़िए कोरोना की गुमान !:-
कविता :-16(08) 28-04-2020 मंगलवार
हम सब अतिथि है  !:- कविता :-15(06)
24-01-2020 शुक्रवार 21:35
कविता  :- 14(85)  हिन्दी ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
-:  वह अब हैं न मेरी दिवानी !   !:-
लेखक एक सदी का और सरकार पांच सरकार का  !:-
कविता :-15(04) 22-01-2020 बुधवार 22:01
09-05-2020  शनिवार 00:01 मो:-6290640716
রোশন কুমার ঝা, Roshan Kumar Jha

Popular posts from this blog

कविता :- 19(89)

कविता :- 16(77), 16(75),:- 16(76)

कविता :- 18(61),18(60), 18(59) ,18(58)